नौका वाले हमे बिठा ले , जाना गंगा पार ... | Bhajan - 109 | Shri Ram Kewat Bhajan | Nauka Wale Humain Bitha le

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(तर्ज : गाडी वाले हमे बिठा ले ... )

नौका  वाले  हमे  बिठा  ले , जाना  गंगा  पार  – खड़े  हम  तीन  जने |
तीन  जने , हम  तीन  जने, यहाँ  खड़े  हम  तीन  जने  –  – २ 
होs नौका वाले हमे  बिठा  ले ……जाना  गंगा  पार  – खड़े  हम  तीन  जने ||

अवध  पूरी  के  वासी  हैं , दशरथ  नन्द  कहलाते  हैं 
राम  नाम , लक्ष्मण  और  सीता , हम  सब  बन को  जाते  हैं 
राज  छोड़ , बनवास  ले  लिया  – २ , किया  पिता  का  मान  … खड़े  हम  तीन  जने
नौका वाले हमे  बिठा  ले ……

इतना  सुन, केवट  बोलै , नाव  तो  मैं  ही  खेवूंगा
जादू  वाले  चरण  आपके , पहले  इनको  धोऊंगा 
चरण  धूल  से , शिला  खंड  भी  – २ , बन  गयी  सुन्दर  नार  …खड़े  हम  तीन  जने
नौका वाले हमे  बिठा  ले ……

अपने  मन  की  सनका  मैं  तो , प्रभु  से  ही  फरमाते  हैं 
जिन  चरणों  को , भोले  बाबा , निस  दिन  ध्यान  लगते  हैं 
धो  कर  केवट  बड़े  प्रेम  से  – २ , किया  अपना  उद्धार  …खड़े  हम  तीन  जने 
नौका वाले हमे  बिठा  ले ……

तीनो  को  बैठाय नाव  मैं , गंगा  पार  उतार  दिया 
देने  लगे  उतराये  अंगूठी , केवट  ने  इंकार  किया 
मैंने  गंगा  पार  किया  – २ , प्रभु  तुम  करना  भव  से  पार  …खड़े  हम  तीन  जने 
नौका वाले हमे  बिठा  ले ……

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