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ओढ़ो जी ओढ़ो दादी, म्हारी भी चुनरिया | Odho Dadi Mhari Bhi Chunariya | Dadi Bhajan - 179

  ओढ़ो जी ओढ़ो दादी, म्हारी भी चुनरिया                                        तर्ज : खम्मा खम्मा ओढ़ो जी ओढ़ो दादी, म्हारी भी चुनरिया, शान से ल्याया थारा, टाबरिया थारा बालकिया, ओढो म्हारी भी चुनरिया, ओढो जी ओढो दादी, म्हारी भी चुनरिया ॥ राचणी मेहंदी थारे, हाथां में लगावा, गजरो बनावा थारे, जुड़े में सजावा, फूल मंगाया बढ़िया बढ़िया, ओढो म्हारी भी चुनरिया, ओढो जी ओढो दादी, म्हारी भी चुनरिया ॥ दादी जी आओ थारे, भोग लगावा, हलवा पूड़ी मेवा का, थाल सजावा, खीर बनवाई दादी केसरिया, ओढो म्हारी भी चुनरिया, ओढो जी ओढो दादी, म्हारी भी चुनरिया ॥ चुनड़ी ओढ़ाया म्हारो, मान बढ़ेगो, और भी थारो, सिणगार खिलेगो, ‘सोनू’ सरावेगी या सारी दुनिया, ओढो म्हारी भी चुनरिया, ओढो जी ओढो दादी, म्हारी भी चुनरिया ॥ ओढ़ो जी ओढ़ो दादी, म्हारी भी चुनरिया, शान से ल्याया थारा, टाबरिया थारा बालकिया, ओढो म्हारी भी चुनरिया, ओढो जी ओढो दादी, म्हारी भी चुनरिया ॥

मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है | Bhajan 153 | Mere Sar Pe Jhunjhunwali Ki Chundi Lehraati He ...

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नज़दीक मेरे आने से -3 आफ़त घबराती है -2 मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है नज़दीक मेरे आने से -2 आफ़त घबराती है -2 मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है-2 चाहें लाख़ मुसीबत आये,चाहें छाए गम के बादल2 मुझकों चिंता है कैसी,मेरे सर पे माँ का आचल-2 अपने भक्तों को दुःख में-3 माँ देख ना पाती है-2 मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है-2 मैं थाम के माँ पल्ला,चलता हूँ पीछे-पीछे-2 मैं तो हूँ किस्मत वाला ,रहता हूँ चुनड़ी के निचे-2 मुझे गोद बिठा के मईया-3 सर पे हाथ फिरती है-2 मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है-2 हमने तो इतना जाना,जब से है होस सम्भाला-2 एक माँ ने जन्म दिया,और एक माँ ने हमको पाला-2 संकट आने से पहले-3 दादी खुद आ जाती है माँ खुद आ जाती है मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है-2 नज़दीक मेरे आने से -2 आफ़त घबराती है -2 मेरे सर पे झुंझुन वाली की चुनड़ी लहराती है-2

चुनड़ तो ओढ़ म्हारी दादी ....| Bhajan - 73 | Shri Rani Sati Dadi Maa Bhajan | Chunad To Odh Mhari Dadi ...

चुनड़ तो ओढ़ म्हारी दादी , सिंहासन बैठी जी । कोई , देवा भोत सहराई दादी म्हारी जी , सिंहासन बैठी जी । ।   हीरा पन्ना(मोती-मूंगा) सू जड़यो , थारो सिंहासन जी कोई ऊपर छतर हजार , दादी म्हारी जी। सिंहासन...   अंग कसूमल थारे , कब्जो तो सोवे जी , कोई गले में हीरा को हार , दादी म्हारी जी।।  सिंहासन...   हाथां म दादी थारे मेहन्दी रची है जी , कोई बाजुबन्द की महिमा अपार , दादी म्हारी जी।।  सिंहासन...   काना में कुण्डल थारे , हृद के विराज जी , कोई हाथा में लाल चूड़ो सोहे , दादी म्हारी जी।।  सिंहासन...   चुनड़ का अल्ला-पल्ला , भोत लुभावे जी , कोई मांय तारी को सोहे जाल , दादी म्हारी जी।।  सिंहासन...   हाथां म चूड़ो थारे , बायां में बाजुबन्द जी , कोई माथे पे लाल टीको सोहे , दादी म्हारी जी।।  सिंहासन...   मन में ले आशा दादी, कीर्तन में आया जी , कोई भक्ता री आश पुरावो ,  दादी म्हारी जी।।  सिंहासन...   भक्ता,री अर्जी दादी, मर्जी है थारी जी , कोई थारे बिना कुण सुणशी , म्हार...

ल्याया थारी चुनड़ी, करियो माँ स्वीकार ... | Bhajan - 46 | Shri Rani Sati Dadi Maa Bhajan | Laya Thari Chundi Kariyo Maa Sweekaar ...

(तर्ज : देना है तो दीजिये ...) ल्याया थारी चुनड़ी, करियो माँ स्वीकार , ईमें साँचा-२ हीरा ,  और मोत्यां की भरमार ।।   चुनड़ी को रंग लाल चटक है ,  तारा भी चिपकाया माँ। बढ़िया पोत मंगायो जामें ,  गोटो भी लगवाया माँ। थे तो ओढ़ दिखावो मइया ,  थारो मानाँगा उपकार   ।।   ल्याया थारी  ….   बस इतनी-सी कृपा करदे ,  सेवा में लग जावाँ माँ। म्हानै तू ई लायक करदे ,  चुनड़ी रोज चढ़ावाँ माँ। बस टाबरिया पर बरसे ,  माँ हरदम थारो प्यार  ।।   ल्याया थारी  ….   एक हाथ से भक्ति दीजे ,  एक हाथ से शक्ति माँ। एक हाथ से धन दौलत ,  और एक हाथ से मुक्ति माँ। तू तो हर हाथां से दीजे ,  माँ थारा हाथ हजार  ।।   ल्याया थारी  ….   गर तू थारो बेटो समझे ,  सेवा बताती रहीज्ये माँ। ' बनवारी '  गर लायक समझे ,  काम उढ़ाती रहीज्ये माँ। म्हे तो रात दिना बैठ्या हाँ ,  थारी सेवा में तैयार  ।।   ल्याया थारी  ….

म्हारै जद भी, मुसीबत कोई आवण लागै .....| Bhajan - 45 | Shri Rani Sati Dadi Maa Bhajan | Mhare Jad Bhi Mushibat Koi Aawan Lage ...

म्हारै जद भी , मुसीबत कोई आवण लागै, कोई आवण लागै ….. म्हारे सर के ऊपर चूनड़ी , लहरावण लागै-२  । ।   जब-जब म्हारी जीवन नैया , डगमग डोले-२ पल म म्हारी दादी हाथ हिलावै , होले-होले-२ अपने आप ही भंवर में ... हो-हो ... अपने आप ही भंवर म नैया चालण लागै-२। ।  म्हारे सर के ऊपर चूनड़ी...   जब भी दादीजी म्हारो मनड़ो यो घबरावै-२ पलभर भी ना देर करे माँ दौड़ी-दौड़ी आवै-२ हाथो-हाथ बेटो यो  .... हो - हो ....  हाथों हाथ बेटो यो मुसकावण लागै -२ । ।    म्हारे सर के ऊपर चूनड़ी...   म्हारी कुलदेवी दादीजी जब जब म्हासु रूठे-२ तब 'बनवारी' दादीजी न, और नहीं कुछ सूझे थारा बेटा थाने चुनड़ी ... हो , हो .... थारा बेटा थाने चुनड़ी उढावण लागै , माँ उढावण लागै , हाथों हाथ ही या मैया , मुसकावण लागै-२  । ।    म्हारे सर के ऊपर चूनड़ी...

जगदम्बा थे तो, आकर ओढो ऐ ... | Bhajan - 44 | Shri Rani Sati Dadi Maa Bhajan | Jagdamba The To Aakar Odho Ae ...

( तर्ज : मारवाड़ी) जगदम्बा थे तो, आकर ओढो ऐ, सेवक ल्याया माँ थारी चुनड़ी ।। टेर।।   अन्तरा सुहागन मिल, चाव से बांधी ऐ , श्रद्धा के रंग में, रंगाई चुनड़ी ।।१।।  जगदम्बा थे तो ...   सुरता रो झीणो, पोत बनायो ऐ, मनड़ा की पेटी में, या आई चुनड़ी।।२।।  जगदम्बा थे तो ...   आशा का तारा, खूब लगाया ऐ , मोती की लूमा, लगाई चुनड़ी।।३।।  जगदम्बा थे तो ...   माँ सच्चा तारा , साचो ही गोटो ऐ , म्हानै प्यारी लागै माँ, तारा री चुनड़ी।।४।।  जगदम्बा थे तो ...   चुनड़ी का तारा, चम-चम चमके ऐ , म्हारो मनड़ो हर लिन्यो, तारा री चुनड़ी।।५।।  जगदम्बा थे तो ...   'बनवारी' गावे, चुनड़ उढ़ावे ऐ , थे आकर ओढ़ो माँ, तारा री चुनड़ी ।।६।।  जगदम्बा थे तो ...