तेरी मोरछड़ी बाबा जब भी लहराती है | Teri Morchadi Baba Jab Bhi Lehrati Hai | Bhajan 179
तर्ज – तू किरपा कर बाबा।
तेरी मोरछड़ी बाबा जब भी लहराती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
जो दीन दुखी तेरे दरबार में है आता,
तेरी मोरछड़ी से वो पल भर में तर जाता,
सारे कष्टों की वो औषधि बन जाती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
तेरी मोरछड़ी बाबा जब भी लहराती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
तेरी मोरछड़ी बाबा थामे रहना हर दम,
जो आये शरण तेरी कट जाएँ सारे गम,
तेरी मोरछड़ी बाबा हर दुःख से बचाती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
तेरी मोरछड़ी बाबा जब भी लहराती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
अपने भक्तों को तुम झाड़ा देना इसका,
जैसा हो जिसका दुःख कट जाए वो सबका,
‘हरि’ मोरछड़ी तेरी किरपा बरसाती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
तेरी मोरछड़ी बाबा जब भी लहराती है,
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
भक्तों के दुःख सारे ये पल में मिटाती है ॥
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