ऐसे मेरे मन में विराजिये ... | Bhajan 122 | Shree Sita Ram Bhajan | Aise Mere Mann Main Biraajiye ...



ऐसे मेरे मन में विराजिये

ऐसे मेरे मन में विराजिये
कि मै भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
॥ ऐसे मेरे मन में विराजिये...॥


तू चंदा हम है चकोर,
दर्शन को मचाते है शोर।
तेरी कृपा की नजर,
अब हो जाये अपनी भी ओर।

करुणा करिये मत लाजिए,
कि मै भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
ऐसे मेरे मन मैं विराजिये, ऐसे मेरे मन मैं..

प्रीती का सच्चा सुरूर,
जिन्हें तुमने दिया है हुज़ूर।
भक्ति की गहराईयाँ
पा लेंगे वो प्रेमी जरूर।

चरण कमल चित साजिए
कि मै भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
ऐसे मेरे मन मैं विराजिये, ऐसे मेरे मन मैं..

जीने का एक फल यही,
जिसने जाना है ज्ञानी वही।
प्रीतम हृदय में बसे
बात संतो ने इतनी कही।

सिया संग प्यारी छवि छाजिये।
कि मै भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम

ऐसे मेरे मन में विराजिये
ऐसे मेरे मन में विराजिये
कि मै भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
भूल जाऊं काम धाम
गाऊं बस तेरा नाम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम
सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम

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