राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ || Bhajan 114 || Ram Mere Aa Jao | Shri Ram Sabri Bhajan
शबरी देखे बाट, राम मेरे आ जाओ lll
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी को, " कहाँ मैं बिठाऊँ ", " कहाँ मैं बिठाऊँ " ll
टूटा फूटा खाट खाट पर, विछा पुराना टाट,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी को, " क्या मैं खिलाऊँ '' " क्या मैं खिलाऊँ '' ll
छोटे छोटे पेड़ पेड़ पर, लगे सुनहरे बेर,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी को, " कैसे रिझाऊँ " ll
दीन हीन मोहे जान, ना ही कोई, भक्ति ना ही ज्ञान,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी के, " चरण पखारूँ " ll
नैन से व्हे जो नीर, नीर है सुरसर जैसे तीर,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी को, " झूला मैं झुलाऊँ " ll
हरे भरे हैं पेड़, पेड़ पर झूले सीता राम,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
टूटा फूटा खाट खाट पर, विछा पुराना टाट,
राम मेरे आ जाओ
छोटे छोटे पेड़ पेड़ पर, लगे सुनहरे बेर,
राम मेरे आ जाओ
दीन हीन मोहे जान, ना ही कोई, भक्ति ना ही ज्ञान,
राम मेरे आ जाओ
नैन से व्हे जो नीर, नीर है सुरसर जैसे तीर,
राम मेरे आ जाओ
हरे भरे हैं पेड़, पेड़ पर झूले सीता राम,
राम मेरे आ जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी को, " कैसे रिझाऊँ " ll
दीन हीन मोहे जान, ना ही कोई, भक्ति ना ही ज्ञान,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी के, " चरण पखारूँ " ll
नैन से व्हे जो नीर, नीर है सुरसर जैसे तीर,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
अपने राम जी को, " झूला मैं झुलाऊँ " ll
हरे भरे हैं पेड़, पेड़ पर झूले सीता राम,
राम मेरे आ जाओ
राम मेरे आ जाओ, राम मेरे आ जाओ ll
चित्रकूट के घाट घाट पर,,,,,,,,,,
टूटा फूटा खाट खाट पर, विछा पुराना टाट,
राम मेरे आ जाओ
छोटे छोटे पेड़ पेड़ पर, लगे सुनहरे बेर,
राम मेरे आ जाओ
दीन हीन मोहे जान, ना ही कोई, भक्ति ना ही ज्ञान,
राम मेरे आ जाओ
नैन से व्हे जो नीर, नीर है सुरसर जैसे तीर,
राम मेरे आ जाओ
हरे भरे हैं पेड़, पेड़ पर झूले सीता राम,
राम मेरे आ जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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