जय रघुनन्दन, जय सिया राम। Bhajan 116 | Jay Raghunandan Jay Siya Ram
जय रघुनन्दन, जय सिया राम।
भजमन प्यारे, जय सिया राम।
जय रघुनन्दन, जय सिया राम।
भजमन प्यारे, जय सिया राम।
आदि राम, अनंत है राम।
सत चित और, अनंत है राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
हनुमान के स्वामी राम।
दीनन के दुःख हारी राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
मर्यादा पुर्शोतम राम।
पूरण ब्रम्ह सनातन राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
तुलसी सुत तुलसी के राम।
करुना कर भक्तों के राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
जय सिया राम जय जय सिया राम
भजमन प्यारे, जय सिया राम।
जय रघुनन्दन, जय सिया राम।
भजमन प्यारे, जय सिया राम।
आदि राम, अनंत है राम।
सत चित और, अनंत है राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
हनुमान के स्वामी राम।
दीनन के दुःख हारी राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
मर्यादा पुर्शोतम राम।
पूरण ब्रम्ह सनातन राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
तुलसी सुत तुलसी के राम।
करुना कर भक्तों के राम।
॥ जय रघुनन्दन...॥
जय सिया राम जय जय सिया राम
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