SONG 168 | तुम रूठे रहो मोहन | TUM RUTHE RAHO MOHAN
Version 1 (तर्ज : होठों से छु लो तुम ... ) 2nd Version तु म रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ आहों मे असर होगा, घर बैठे बुला लेंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ तुम कहते हो मोहन, हमें मधुबन प्यारा है, इक बार तो आ जाओ, मधुबन ही बना देंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ तुम कहते हो मोहन, हमें राधा प्यारी है, इक बार तो आ जाओ, राधा से मिला देंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ तुम कहते हो मोहन, हमें माखन प्यारा है, इक बार तो आ जाओ, माखन ही खिला देंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ तुम कहते हो मोहन, हमें कहाँ बिठाओगे, इस दिल में तो आ जाओ, पलकों पे बिठा लेंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ तुम हमको ना चाहो, इसकी हमें परवाह नही, हम वादे के पक्के है, तुम्हे अपना बना लेंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ तुम रूठे रहो मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे, आहों मे असर होगा, घर बैठे बुला लेंगे, तुम रूठे रहों मोहन, हम तुम्हे मना लेंगे ॥ लगी आग जो सीने में, तेरी प्रेम जुदाई की, हम प्रेम की धारा से, लगी ...