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रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति ... | Bhajan 176 | Ridhi Sidhi ke Data Ganapati ....

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  फ़िल्मी तर्ज - हाल क्या है दिलो का  रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति,  आपकी मेहरबानी हमें चाहिये,  पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका,  लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये,  रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति। - 2  सर झुकाता हूँ चरणों मे सुन लीजिये,  आज बिगड़ी हमारी बना लीजिये,  ना तमन्ना है धन की ना सर ताज की,  तेरे चरणों की सेवा हमें चाहिये,  रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति।।  तेरी भक्ति का दील मे नशा चूर हो,  बस आँखो मे बाबा तेरा नूर हो,  कण्ठ पे शारदा माँ हमेशा रहे,  रिध्धि सिद्धि का वर ही हमें चाहिये,  रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति।।  सारे देवों मे गुणवान दाता हो तुम,  सारे वेदों मे ज्ञानो के ज्ञाता हो तुम,  ज्ञान देदो भजन गीत गाते रहे,  बस यही ज़िन्दगानी हमें चाहिये,  रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति।।  रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति,  आपकी मेहरबानी हमें चाहिये,  पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका,  लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये,  रिध्द...

मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ | Bhajan 175 | Mere Kirtan Mein Rang Barsao ....

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  मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ || ब्रह्मा तुम भी पधारो, विष्णु तुम भी पधारो, भोले शंकर को साथ ले आओ, आओ जी गजानन आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ || लक्ष्मी तुम भी पधारो, गौरा तुम भी पधारो, सरस्वती को साथ ले आओ आओ जी गजानन आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ || राम तुम भी पधारो, लक्ष्मण तुम भी पधारो, सीता मैया को साथ ले आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ || श्याम तुम भी पधारो, राम तुम भी पधारो, राधा रानी को साथ ले आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ || हनुमत तुम भी पधारो, नारद तुम भी पधारो, मैया रानी को साथ ले आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ ||

Maat Shri Rani Sati Ji.. | Bhajan 174 | मात श्री राणीसती जी मेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री ....

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Song Link -  मात श्री राणीसती जी मेरी, मात श्री राणीसती जी मेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री।। पाय मैं पडूँ मात थारे, क्षमा कर चूक भयी म्हारे, अनेको विघन आप टारे, काज निज भक्तन के सारे, दोऊ कर जोड़े मैं खड़ा, जननी थारे द्वार, ओ मैया जननी थारे द्वार, दुखित दीन माँ जान के मुझको, जरा दो पलक उघाड़, कृपा कर बिलखत भयी देरी, कष्ट कर दूर भक्त के री। मात श्री रानीसती जी मेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री।। कहत है सिद्धि मुनि ज्ञानी, तुम्ही जगदंबा राज रानी, मूक है कवियन की वाणी, की महिमा जात नही जानी, अखंड ज्योति प्रकाश है, व्यापक सकल जहान, ओ मैया व्यापक सकल जहान, सुंदर मंदिर रम्य शिखर, जाके ध्वजा उड़े आसमान, बजे है शंख तू रही मेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री। मात श्री रानीसती जी मेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री।। गरुड़ चढ़ कमलापति आए, सुदर्शन चक्र साथ लाए, ग्राह से गज को छुड़वाए, विमल यश तिहुँ लोक गाये, आप मात उस रीत से, सिंह सवारी साज, ओ मैया सिंह सवारी साज, आओ आतुर राखो अपने, शरण पड़े की लाज, लखुं मैं सौम्य सूरत तेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री। मात श्री रानीसती जी मेरी, कष्ट कर दूर भक्त के री।। भयानक तूफ़ा दिया घेरा...

Bhole Bhandari Ki Mahima Badi Nyaari ... | भोले भण्डारी की , महिमा बड़ी न्यारी है ... | Bhajan 173 |

   ॥ श्री शिव वन्दना॥। दोहा: अलख निरज॑न नीलकंठ, त्रिलोचन करतार, शरणों लिन्यो आपको, सदा भरो भण्डार (तर्ज : फरियाद मेरी सुनके.....) भोले भण्डारी की , महिमा बड़ी न्यारी है-२ ये भूतेश्वर बाबा, भोले त्रिपुरारी हैं || हे शिव शंकर तेरे, माथे पे चन्दा है, गले में सर्पों का हार, तेरी जट्टा में गंगा है शिव गौरी के प्यारे, नदी की सवारी है ||  भोले भण्डारी की  ... कर बैल सवारी तुम, नित धुनि रमाते हो, हे डमरू बाले तुम, क्यूँ हमें सताते हो हे भोले तेरे दर के, हम सब तो भिखारी हैं ||  भोले भण्डारी की  ... तुम बिन ना कोई मेरा, दुनियां में सहारा है, इस जीवन को हमनें, तुझ पर ही वारा है हमकों न भुला देना, हम निपट अनाड़ी हैं ||  भोले भण्डारी की  ... सबने ठुकराया है, अपनों में हूँ. बेगाना मुझको अपना लेना, सुनके मेरा अफ़शाना ये 'भक्त' कहे भोले, हम शरण तिहारी हैं ||  भोले भण्डारी की  ...

Chirmi Shiva Bhole Nath Ji | चिरमी शिव भोले नाथ जी | Bhajan 172 |

  (तर्ज ; चिरमी ) शिव कैलाशी, का है वासी, नित भाँग धतूरा खाय शिव भोले नाथ जी || माथे पे तो चंदा सोहे, और जटा में-र गंग समाय शिव भोले नाथ जी || गल सर्पों की माला लिपटे, कैसा अदूभुत-२ रूप दिखाय शिव भोले नाथ जी || ओडढ़े मृगछाला तो भोले, लेई त्रिशुल-२ हाथ उठाय 'शिव भोले नाथ जी || नन्दी की तो करे सवारी, और अंग-२ भभूति रमाय ़ शिव भोले नाथ जी || तप कैलाश पे करते भोले, जाने किसका-२ ध्यान लगाये कर शिव भोले नाथ जी || करते ताण्डव, नृत्य भोले, और डमरू-२ रहे बजाये शिव भोले नाथ जी || शिव भोले है औघड़दानी, दें दे जो भी मन मे आये शिव भोले नाथ जी || दास  “रवि" भी करता विनती, हमें देना-२ दरश दिखाय शिव भोले नाथ जी ||

Jisne Bhi Sache Man Se Shiv Bhole... | जिसने भी हे सच्चे मन से, शिव भोले | Bhajan 171 |

  ॥ श्री शिव वन्दना ॥  (तर्ज : जाने वाले एक सन्देशा... ) जिसने भी हे सच्चे मन से, शिव भोले का ध्यान किया  खुश होकर के शिव भोले ने, मन चाहा वरदान दिया ॥टेर॥  देवों में देव निराला, मेरा डमरू वाला है बातों की एक बात ये, भगतों का रखवाला हैं । | भगतों का हर काम प्रभु ने, पल में तुरन्त संवार दिया ॥1॥  खुश होकर के शिव भोले  ... देवों को अमृत मंधन में, हीरे मोती लुटा दिये,  जब विष की बारी आई तो, उसको कैंसे कौन पिये ।  नीलकण्ठ था नाम पड़ा तेरा, जब तुमने विषपान किया ॥2॥  खुश होकर के शिव भोले  ... भांग धतूरा खा कर भोला, पर्वत ऊपर वास करे, संग विराजे पारवती माँ, जो भगतों के कष्ट हरे । शिव शक्ति के सुमिरन ने, भगतों का बेड़ा पार किया ॥3॥  खुश होकर के शिव भोले  ... भोले अपने नाम को अब तो, कर साकार दिखादे तू,  हम सब है अज्ञानी वालक, ज्ञान की घूंट पिलादे तू । “भक्त मण्डल' आज प्रेम से, भोले तेरा नाम लिया ॥4॥  खुश होकर के शिव भोले  ...